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एक ही तो भगवन है
राग: वसंता
आ: स, म1, ग3, म1, द2, नि3, स
औ: स, नि3, द2, म1, ग3, रि1, स
एक ही तो भगवन है जग में एक ही तो भगवन है
कोई राम कहें कोई श्याम कहें जग में एक ही तो भगवन है
ब्रम्हा के रूप में सृष्टि रचाया
और विष्णु बन जग को सम्बाला
विष पी कर बी सब को बचाए ओह एक ही तो भगवन है
फूलों के कुश्बू में वस्तु के ध्रुष्टि में
सपथ सुरों में ... सुर की बोल में
स्पर्श के प्यार में सब को सिकाए ओह एक ही तो भगवन है
लय से भरा है सृष्टि फिर बी
कर्म से क्षेत्र का पालन करके
ज्ञान और भक्ति से मोक्ष जो पाए ओह एक ही तो भगवन है
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